हमारे भारत मे बहुत लोग पाकिस्तानी गायको ,खिलाडीयो और कलाकारो के प्रतिभा के इतने कायल है और इसी कायलता मे वशिभुत और प्रेमविलीन होकर पकिस्तानियो के विरोध के खिलाफ जो इतना विधवा विलाप कर रहे है ,आखिर वो किस आधार पर पकिस्तान की दीर्घकालिन भारत विरुद्ध सभी गतिविधियो और शत्रुता को भुला बैठे है ? पाकिस्तान के इसी शत्रुता और भारत विरुद्ध आचरण से हमारे देश ,देशवासियो और इन छ्द्म धर्मनिर्पेक्षवादियो के रक्षा के लिये न जाने कितने ही सैनिको ने आज तक अपने प्राणो की आहुति दे दी है कितने ही माँ के गोद उजड़ गये ,बहनो के सिंदूर धूल गये बच्चो के सर पर अनाथ का तमगा लग गया ,उनके बलिदानओ का क्या मोल न था? आखिर इनके लिये उनके बलिदानो को भुला पाना कैसे संभव हो पाया ?
तब तो इसका अर्थ यही समझा जा सकता है कीअगर कोई हमारे देश का दुश्मन भी है,लेकिन अगर वो अच्छा कलाकार या अच्छा खिलाडी है तो हमारे देश के ये तथाकथित उदारवादी (उजाड़वादी) उनके स्वागत के लिये दंडवत बिछ जायेनगे,उनके चरण धुली को अपने मस्तक पर लगाकर खुद को धन्य करेंगे |
आखिर इनका कलाप्रेम आज देशप्रेम से बढकर हो गया है क्या ?
इस समस्त क्रिया कलाप को सिधे देशद्रोहिता कहना किसी भी तर्क के आधार पर अनुचित कहा जा सकता है क्या? अगर ये सभी कलाप्रेमि (?) / देशद्रोही कानून को झासा देकर बच भी जाते है, और जनता अगर इनको उपयुक्त सजा देती है तो जनता को असहिश्नु कहा जायेगा क्या ?
मेरे अनुसार यही असहिश्नुता ही सच्ची देशभक्ति है ,और देश के हितो की रक्षा के लिये हमारे देशभक्त जनता की नजरो मे वांछनिय और समय की माँग है