धमकियों के बावजूद NIT श्रीनगर के छात्रों ने गाया राष्ट्रगान, आप भी करेंगे गर्व

NIT श्रीनगर में तनाव और धमकियों के बावजूद गैर-कश्मीरी छात्र कैंपस में देश की एकता और अखंडता का प्रतीक तिरंगा झंडा लहराने की मांग पर अड़े हुए हैं। यही नहीं, पुलिस व प्रशासन के अत्याचार से पीड़ित छात्रों का यह समूह दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों ने छात्रों से तिरंगा झंडा छीन लिया और अब तक उन्हें वापस नहीं किया है। इसके बावजूद, छात्रों ने जो कुछ भी किया है, उस पर आपको गर्व हो सकता है।

हमारा आपसे निवेदन है कि आप भी राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े हों।

निडर होकर भारत के राष्ट्रगान का गायन करने वाले ये छात्र अपने ही देश में चल रहे राष्ट्रवादी संघर्ष का प्रतीक हैं। कुछ मुट्ठी भर देशद्रोहियों पर लंबा एयरटाइम खर्च करने वाले देश के मेन स्ट्रीम मीडिया ने इस पूरे घटनाक्रम पर आश्चर्यजनक चुप्पी साध ली है। मीडिया तूफान के गुजर जाने का इन्तजार कर रहा है।

CRPF के वे जवान भी प्रशंसा के पात्र हैं, जिन्होंने गैर-कश्मीरी छात्रों में सुरक्षा की भावना को मजबूत किया है। इस विडियो में CRPF के जवान भी दिखाई दे रहे हैं।

प्रदर्शनकारी छात्रों से छीन लिया तिरंगा, बार-बार अनुरोध के बावजूद नहीं लौटाया

NIT श्रीनगर में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे गैर-कश्मीरी छात्रों से प्रशासन ने तिरंगा छीन लिया और उन्हें कैंपस में प्रदर्शन के दौरान तिरंगा लहराने की इजाजत नहीं दी जा रही है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद जब उन्हें तिरंगा नहीं लौटाया गया, तब उन्होंने ड्राइंग पेपर्स पर तिरंगा बना लिए और प्रदर्शन को जारी रखा है।

इन छात्रों ने संस्थान के निदेशक के उस बयान को झूठ बताया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि प्रदर्शनकारी छात्रों की संख्या महज 100 के करीब है।

एनआईटी श्रीनगर के कैंपस में फिलहाल 1600 से अधिक गैर-कश्मीरी छात्र शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में छात्राएं भी शामिल हैं।

मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के NIT कैंपस में शान्तिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे छात्रों पर पुलिस ने बर्बरता से लाठीचार्ज किया।

पुलिस ने छात्रों को न केवल घेरकर पीटा, बल्कि हवाई फायरिंग भी की। इस बर्बर कार्रवाई में कम से कम 125 गैर-कश्मीरी छात्र घायल हो गए।

विवाद की शुरुआत 31 मार्च को भारत-वेस्टइंडीज क्रिकेट मैच के बाद हुई थी। इस मैच में वेस्टइंडीज के जीतने के बाद, कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगा कर जश्न मनाया था। इसका विरोध करने पर गैर-कश्मीरी छात्रों की पिटाई कर दी गई।

बाद में प्रताड़ित छात्रों के समूह ने एनआईटी कैंपस में तिरंगा लहराया और भारत माता की जय के नारे लगाए।

इस घटना के बाद से ही गैर-कश्मीरी छात्रों को धमकियां मिल रहीं थीं। इन छात्रों ने आरोप लगाया है कि कॉलेज प्रशासन उन छात्रों का साथ दे रहा है, जो पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाते हैं और भारत को गालियां देते हैं।

मुस्लिम जो मांग रहे महिलाओं को मारने का कानूनी अधिकार

1पाकिस्तान में कुछ कट्टरपंथी और इस्लामी संगठन एक अजीब कानून की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें अपने घर की महिलाओं और पत्नी को प्रताड़ित करने और जान से मारने का अधिकार मिले। पाकिस्तान में कुछ समय पहले ही लैंगिक समानता को लेकर कुछ सख्त कदम उठाए गए हैं। मगर कुछ लोग अभी भी मानते हैं कि महिलाओं पर अत्याचार ईश्वर से मिला उनका अधिकार है और यह किसी भी तरह गलत नहीं है। दरअसल विवाद तब शुरू हुआ जब यहां महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून पास किया गया।

अरब की प्राचीन वैदिक संस्कृति

लगभग 1400 साल पहले अरब में इस्लाम का प्रादुर्भाव हुआ,
इससे पहले अरब के निवासी अपने पिछले 4000 साल के इतिहास को भूल चुके थे, और इस्लाम में इस काल को जिहालिया कहा गया है जिसका अर्थ है अन्धकार का युग,

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परन्तु ये जिहालिया का युग मुहम्मद के अनुयाइयो द्वारा फैलाया झूठ है, इस्लाम से पहले वहां पर वैदिक संस्कृति थी, हमारे विभाग ने इस पर एक नहीं हजारो प्रमाण इकट्ठे कर लिए है,
और ये मुर्ख ये नहीं जानते की जब मुहम्मद के कहने पर वहां के सभी पुस्तकालय, देवालय, विद्यालय जला दिए तो इन्हें कैसे पता चला की वहां पर इस्लाम से पहले जाहिलिया का युग था,
असल में मुहम्मद जो की भविष्यपुराण के अनुसार राक्षस था, ने राजा भोज के स्वपन में आकर कहा था की आपका सनातन धर्म सर्वोत्तम है पर मैं उसे पुरे संसार से समेट कर उसे पैशाचिक दारुण धर्म में परिवर्तित कर दूंगा,
और वहां के लोग लिंग्विछेदी, दढ़ियल बिना मुछ के, ऊँची आवाज में चिल्लाने वाले(अजान), व्यभाचारी, कामुक और लुटेरे होंगे,
इसलिए ये जहाँ भी जाते है अराजकता फैला देते है, खुद मुस्लिम देश भी दुखी है,
इनके जिहालिया के युग का भांडा शायर ओ ओकुल में फूटता है, जिसमे लबी-बिन-ए-अरव्तब-बिन-ए-तुरफा जी ने अरब में वैदिक संस्कृति को प्रमाणित किया है,

“अया मुबारेकल अरज मुशैये नोंहा मिनार हिंदे।

व अरादकल्लाह मज्जोनज्जे जिकरतुन।1।

वह लवज्जलीयतुन ऐनाने सहबी अरवे अतुन जिकरा।

वहाजेही योनज्जेलुर्ररसूल मिनल हिंदतुन।2।

यकूलूनल्लाहः या अहलल अरज आलमीन फुल्लहुम।

फत्तेबेऊ जिकरतुल वेद हुक्कुन मालन योनज्वेलतुन।3।

वहोबा आलमुस्साम वल यजुरमिनल्लाहे तनजीलन।

फऐ नोमा या अरवीयो मुत्तवअन योवसीरीयोनजातुन।4।

जइसनैन हुमारिक अतर नासेहीन का-अ-खुबातुन।

व असनात अलाऊढ़न व होवा मश-ए-रतुन।5।”

अर्थात- (1) हे भारत की पुण्यभूमि (मिनार हिंदे) तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझको चुना। (2) वह ईश्वर का ज्ञान प्रकाश, जो चार प्रकाश स्तम्भों के सदृश्य सम्पूर्ण जगत् को प्रकाशित करता है, यह भारतवर्ष (हिंद तुन) में ऋषियों द्वारा चार रूप में प्रकट हुआ। (3) और परमात्मा समस्त संसार के मनुष्यों को आज्ञा देता है कि वेद, जो मेरे ज्ञान है, इनके अनुसार आचरण करो। (4) वह ज्ञान के भण्डार साम और यजुर है, जो ईश्वर ने प्रदान किये। इसलिए, हे मेरे भाइयों! इनको मानो, क्योंकि ये हमें मोक्ष का मार्ग बताते है। (5) और दो उनमें से रिक्, अतर (ऋग्वेद, अथर्ववेद) जो हमें भ्रातृत्व की शिक्षा देते है, और जो इनकी शरण में आ गया, वह कभी अन्धकार को प्राप्त नहीं होता।

अरबी काव्य संग्रह ग्रंथ ‘ शायर-ए-ओकुल’ के 253वें पृष्ठ पर हजरत मोहम्मद के चाचा उमर-बिन-ए-हश्शाम की कविता है जिसमें उन्होंने हिन्दे यौमन एवं गबुल हिन्दू का प्रयोग बड़े आदर से किया है । ‘उमर-बिन-ए-हश्शाम’ की कविता नयी दिल्ली स्थित मन्दिर मार्ग पर श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर (बिड़ला मन्दिर) की वाटिका में यज्ञशाला के लाल पत्थर के स्तम्भ (खम्बे) पर काली स्याही से लिखी हुई है, जो इस प्रकार है –

” कफविनक जिकरा मिन उलुमिन तब असेक ।

कलुवन अमातातुल हवा व तजक्करू ।1।

न तज खेरोहा उड़न एललवदए लिलवरा ।

वलुकएने जातल्लाहे औम असेरू ।2।

व अहालोलहा अजहू अरानीमन महादेव ओ ।

मनोजेल इलमुद्दीन मीनहुम व सयत्तरू ।3।

व सहबी वे याम फीम कामिल हिन्दे यौमन ।

व यकुलून न लातहजन फइन्नक तवज्जरू ।4।

मअस्सयरे अरव्लाकन हसनन कुल्लहूम ।

नजुमुन अजा अत सुम्मा गबुल हिन्दू ।5।

अर्थात् – (1) वह मनुष्य, जिसने सारा जीवन पाप व अधर्म में बिताया हो, काम, क्रोध में अपने यौवन को नष्ट किया हो। (2) अदि अन्त में उसको पश्चाताप हो और भलाई की ओर लौटना चाहे, तो क्या उसका कल्याण हो सकता है ? (3) एक बार भी सच्चे हृदय से वह महादेव जी की पूजा करे, तो धर्म-मार्ग में उच्च से उच्च पद को पा सकता है। (4) हे प्रभु ! मेरा समस्त जीवन लेकर केवल एक दिन भारत (हिंद) के निवास का दे दो, क्योंकि वहाँ पहुँचकर मनुष्य जीवन-मुक्त हो जाता है। (5) वहाँ की यात्रा से सारे शुभ कर्मो की प्राप्ति होती है, और आदर्श गुरूजनों (गबुल हिन्दू) का सत्संग मिलता है

अरब में लगभग 400-600 ईसा पूर्व चक्रवर्ती महाराज चन्द्रगुप्त ने सनातन धर्म की स्थापना की, पर शको के आक्रमण के बाद यहाँ से भारत का नियंत्रण लगभग कट चूका था,
अरब में तब घर घर में सनातनी देवी देवताओं की पूजा होती थी, शिक्षा के लिए विधिवत गुरुकुल थे, बड़े बड़े संग्रहालय और पुस्तकालय थे, वैदिक संस्कृति से ओतप्रोत अरब में चहुँ और सनातन धर्म का एकछत्र साम्राज्य था,

Vikramaditya - The Great Hindu Emperor

इसी काम में शक्वाहन के नेतृत्व में पुन: अरब में सनातन संस्कृति की स्थापना हुई,
महाभारत काल में कम्बोज के कुम्ब्ज राजा का वर्णन आता है, ठीक इसी प्रकार एक मितन्नी वंश का भी वर्णन आता है जो बाद में अरब की और पलायन कर गया था,

अरब में लगभग 500 वर्ष तक मितन्नी वंश के राजाओं का शासन रहा जो की अहुर(असुर) वंश के थे,
इनके नाम है:
तुष्यरथ(दशरथ)
असुर निराही II
असुर दान I
असुर नसिरपाल I
असुर बानिपाल I

632 ईo के बाद यहाँ पर पैगम्बर मुहम्मद के रूप में इस्लाम की स्थापना हुई, इस्लाम की स्थापना के बाद अरब में व्यापक स्तर पर हिन्दुओ का नरसंहार हुआ,
काबा में स्थित सभी मूर्तियों को मुहम्मद द्वारा तोड़ दिया गया, परन्तु इसके उपरान्त भी मुहम्मद ने काबा में हजरे-असवद नाम के एक काले पत्थर को वहां पर रहने दिया और आज हर मुसलमान हज के समय उसके दर्शन अवश्य करता है,

असल में हजरे अस्वाद का हजरे हजर शब्द से बना है जो की हर का अपभ्रंश है, हर का अर्थ संस्कृत में शिव होता है और अस्वाद अश्वेत का ही अपभ्रंश है, चूँकि मुहम्मद के समय ये पत्थर सफ़ेद रंग का था जो की बाद में हज के समय आने वाले पापियों, दुराचारियो और व्यभाचारियो के द्वारा छुते रहने के कारण काला पड़ गया,

Black stone in kaaba

मक्का में काबा में स्थित भगवान् शिव भी सोचते होंगे की प्रतिवर्ष हजारो पापी अपने पापो की क्षमा याचना के लिए मक्का में इस आशा से आते है की उस शिवलिंग को के दर्शन मात्र से उनके पाप मिट जायेंगे,

यहाँ पर मुस्लीम बिना सिले २ कपडे लेते है एक पहन कर और दूसरा कंधे पर डाल कर काबा की घडी की उलटी दिशा में 7 परिक्रमा करते है, चूँकि मुहम्मद ने भविष्यपुराण के अनुसार पैशाचिक धर्म की स्थापना की थी, इसलिए नकारात्मक ऊर्जा को मुसलमानों में निरंतर भरे रखने के लिए वहां पर उलटी परिक्रमा का रिवाज रखा गया,

अब इस्लाम पर थोडा और जानकारी, इस्लामिक मत के अनुसार क़यामत के बाद हजरत मूसा ने इस धरती को पुन: बसाया था, जिसकी कहानी कुछ कुछ मतस्य पुराण से मिलती है,
मतस्य पुराण में प्रलय की कथा : मतस्य पुराण 11/38

ठीक इसी प्रकार इस्लाम का अर्धचन्द्र सनातन संस्कृति से लिया गया है, भगवान् शंकर की पूजा करने वाले अरब वासियों ने भगवान् शिव के मस्तक पर स्थित अर्धचन्द्र को इस्लाम में स्थान दिया, चुकी देखने वाले बात ये है की इस्लामिक शहादा के झंडे में और मुहम्मद के मक्का फतह के समय वाले झंडे में ऐसा कुछ नहीं है, ये केवल अन्य गैर अरबी देशो में है जो बाद में इस्लामिक देश बन गये,
ये है वो फोटो :

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ये है पूरी उड़ीसा के भगवान जगन्नाथ का मंदिर,
पूरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान् कृष्ण, बड़े भैया बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते है,
हर साल उनकी बड़ी झांकी निकलती है जिसमे दूर दूर से देश विदेश के श्रद्दालु आते है और भगवान् का रथ खींचते है,
पर आज तक मंदिर के शिखर पर लगे हुए ध्वज, धर्म पताका की ओर किसी का ध्यान संभवतया ही गया होगा,
मंदिर के शिखर पर लगी धर्म पताका में हिन्दू ध्वजों की तरह ही तिकोने आकार में भगवा वस्त्र और बीच में चाँद व् तारा चिन्हित है,
आमतौर पर ये चिन्ह इस्लामिक झंडो में लगता है पर इस पर भी एक गूढ़ रहस्य है जिसके विषय में मित्र विक्रमादित्य जी ने एक काफी विस्तृत लेख लिखा था और मंगोलिया सभ्यता के साथ चंगेजी खान के साथ सनातनी सभ्यता के कुछ प्रमाण भी दिखाए थे,
ठीक उसी प्रकार इन चिन्ह का मंगोलिया से सम्बन्ध है और मंगोलिया के ही चाँद तारा के इस चिंह को अधिकतर इस्लामिक देश(गैर अरब) प्रयोग करते है,
ये भी ध्यान देने वाली बात है की केवल अरब में किसी झंडे में चाँद तारा एक साथ नहीं है, अर्थात चाँद तारा इस्लामिक चिन्ह नहीं है, इस चाँद तारे का उपयोग सनातनी मंदिरो के अतिरिक्त केवल और केवल मंगोल की प्राचीन सभ्यता में हुआ है, जिसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण आपके समक्ष है

Moon Star symbol on the flag of Jagannath Temple, Puri

एकेश्वरवाद का सिद्धांत भी सनातन धर्म से लिया गया है जहाँ पर देवी देवता और अवतार बहुत है पर इश्वर एक ही है, ॐ शिव, क्यूंकि शिव ही अजन्मा है,
और जिस जमजम के कुएं की ये बात करते है एक शिवलिंग उसमे भी है जिसकी पूजा खजूर के पत्तो से होती है,
इस प्रकार मक्का में एक नहीं, दो शिवलिंग है,

अब बात आती है मक्का में एक और प्रमाणिक स्त्रोत की, सभी जानते है की भगवान् वामन ने बलि के 100 यज्ञो द्वारा इंद्र पद प्राप्त करने के प्रयास को विफल करते हुए उससे तीन पग भूमि ली और उसमे चराचर जगत को २ पग में नाप कर तीसरे पद में राजा बलि को भी अपने अधीन कर लिया, भगवान् वामन का ये तीसरा पग और कही नहीं, मक्का में ही पड़ा था, इसका प्रमाण है मक्का में काबा के ठीक बाहर रखा एक स्तम्भ, जो की इस्लामिक मान्यता के अनुसार अब्राहम का है,
ये देखे :

feet of abraham outside kaaba

और यदि हम अब्राहम शब्द को देखे तो यह अ+ब्रह्म बनता है, जो परमपिता ब्रह्मा जी की और इंगित करता है, इसका एक प्रमाण शास्त्रों में यहाँ मिलता है :

एकं पदं ग्यायान्तु मक्कायान्तु द्वितीयं
तृतीयं स्थापितं दिव्यम मुक्ताए शुक्लस्य सन्निधो – हरिहर क्षेत्रमहात्म्य 7:6 

अन्य प्रमाण :
जब मुहम्मद ने काबा और मक्का के पास स्थिति सभी सनातनी प्रमाणों को नष्ट कर दिया तब उसके बाद उसका पश्चाताप करने के लिए मुहम्मद ने विधिवत सनातन विधि से काबा में मंदिर की स्थापना की, इसका एक प्रमाण है काबा का अष्टकोणीय वास्तु, इसमें एक चतुर्भुज के ऊपर दूसरा चतुर्भुज टेढ़ा करके मंदिर स्थापना होती है और प्रत्येक सनातन मंदिर में यही विधान है,
ये देखे:

काबा का अष्टकोणीय वास्तु :

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मक्का, अरब में खुदाई में मिला एक पुराना दीपक

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अरब में मिली सरस्वती माता की प्रतिमा :

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ठीक इसी प्रकार जमजम गंगगंग का ही अपभ्रंश है, और अरब में किसी मुस्लिम के मरने पर उसके मुह में जमजम का पानी डाला जाता है ठीक उसी प्रकार जैसे हिन्दुओ के मुह में गंगाजल डाला जाता है,
कहते है की

मुहम्मद ने कालिदास द्वारा भस्म होने के बाद भविष्य पुराण के अनुसार राजा भोज के स्वप्न में आकर राक्षसी पैशाचिक धर्म की नींव रख कर सनातन धर्म का नाश करने की बात कही थी, इसी के फलस्वरूप कुरान में मुसलमानों को जिहाद का आदेश दिया, और हदीस बुखारी किताब २ के अनुसार इसका सबसे बड़ा शत्रु केवल भारत था, जिसे अरबी में हिन्द कहते है, भारत को ख़ास टारगेट करके ही मुहम्मद ने मुसलमानो को गजवा हिन्द के निर्देश दिए,

इसके बाद इस्लाम धीरे धीरे अन्य देशो में फैला जैसे की मिस्र,
जैसा की नाम से ही पता चलता है मिस्र एक सनातनी देश था जो की मिश्रा हिन्दुओ के नाम पर बना है, ठीक इसी प्रकार सीरिया का नाम सूर्य देश था जो कालांतर में सीरिया हो गया,

मिस्र में लगभग 3000 सालो तक सनातन धर्म की पताका फहराई गयी थी,
इसका प्रमाण है वहां पर लगभग 11 पीढ़ी तक राम नाम के शासको द्वारा शासन करना,
जिनके नाम है:
परमेश रामशेस
रामशेस I
रामशेस II
रामशेस III
रामशेस IV
रामशेस V महान
रामशेस VI
रामशेस VII
रामशेस VIII
रामशेस IX
रामशेस X

इसके अतिरिक्त महान राजा फ़राओ अपने उदर(पेट) व् मस्तक पर एक तिलक लगाते थेजो की हुबहू गोस्वामी तुलसीदास जैसा था.

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अत: ये कहना की इस्लाम एक धर्म है गलत है,
संकलनकर्ता – Saffron Hindurashtra

आ गई चीन की धमकी, चीनी कंपनियों को बैन करना भारत को पड़ेगा भारी

चीनी कंपनियों पर सुरक्षा प्रतिबंध कड़े करने के संबंध में भारत के विचार करने संबंधी खबरों के बीच, चीन के आधिकारिक मीडिया ने बुधवार को कहा कि इस तरह के कदम से भारत को अधिक नुकसान होगा.

सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया, यदि भारत चीनी कंपनियों पर सुरक्षा प्रतिबंध कड़े करता है, यदि वह चीनी कंपनियों को दी गई सुरक्षा मंजूरी को खत्म करता है तो इससे भारत को अधिक नुकसान होगा.

यह लेख भारत में आधिकारिक सूत्रों द्वारा यह कहे जाने के बाद आया है कि पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन पर आतंकी हमले के मद्देनजर यूएन में भारत के प्रयासों में चीन द्वारा रोड़ा लगाए जाने के बाद, सुरक्षा प्रतिष्ठान का मत है कि चीनी कंपनियों को दी गई सुरक्षा मंजूरी की समीक्षा की जानी चाहिए.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने बीते दो साल के दौरान लगभग 25 कंपनियों को सुरक्षा मंजूरी दी है. ये मंजूरियां मुख्य रूप से पावर, टेलिकॉम, रेलवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर में इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स की स्थापना के लिए दी गई हैं.

भारत ने हाल में संयुक्त राष्ट्र में मसूद अज़हर को आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल करने की मांग की थी. बीते सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की मीटिंग में सभी 14 सदस्य अजहर को आतंकवादियों की सूची में रखने पर सहमत थे. लेकिन ऐन वक्त पर चीन ने अड़ंगा लगा दिया था.

भारत इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने शुक्रवार को कहा था कि यह समझ से परे है, क्योंकि आतंकवादी गतिविधियों और अल कायदा से संबंध रखने के लिए जैश-ए-मोहम्मद पर 2001 में ही प्रतिबंध लगा दिया था.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के क्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत की कोशिशों को चीन से मिले झटके क्रम में चीन की कंपनियों को सुरक्षा प्रतिष्ठानों द्वारा दी गई सुरक्षा मंजूरी की समीक्षा की जानी चाहिए.

एक समय ‘सुरक्षा चिंता’ के तौर पर लिए जाने वाले चीनी निवेश के लिए सरकार ने ‘रेड कारपेट वेलकम’ की पेशकश की थी, जिसका मतलब चीनी निवेश की सभी बाधाओं को दूर करने से था. इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देना था.

यह पहल विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के चीन के दौरे को ध्यान में रखते हुए की गई थी. हालांकि बीजिंग की यूएन में ताजा हरकत से सरकार चीन नीति पर फिर से विचार करने को मजबूर हो गई है. इसमें विशेष रूप से चीनी निवेश को दी जाने वाली सुरक्षा मंजूरी शामिल है.

एक सूत्र ने कहा कि चीन से ‘चिंता वाले देश’ का टैग हटा लिया गया था. हालांकि नीति को लचीला बनाने के सही नतीजे हासिल नहीं हुए. ऐसे में चीनी कंपनियों को सुरक्षा मंजूरी देने की नीति पर पुनर्विचार किया जा सकता है.

केरल में 2 महीने तक दलित बच्ची का रेप, मीडिया खामोश क्योंकि बलात्कारी मुसलमान

केरल में 2 महीने तक दलित बच्ची का रेप करने वाले जिहादी पकडे गए है, मीडिया इसपर खामोश है

पकडे गए बलात्कारियों में मुख्य आरोपी आमिर है, तथा उसके साथी सलमान, मनाद, शमसाद, शाहिद और अमीन है

पूरा मामला केरल के त्रिवंतपुराम का है जहाँ एक दलित बच्ची का ये लोग 2 महीने से रेप कर रहे थे,

बच्ची के शरीर पर जलाने के निशान है, बच्ची से मारपीट की जाती थी, बच्ची की पिटाई के वक़्त कुछ लोकल लोगो ने देख लिया और ये बलात्कारी पकडे गए

समझ पाना नामुमकिन है की हैदराबाद में ओबीसी छात्र को दलित बताकर 24*7 रोने वाली मीडिया इस खबर को किस बेशर्मी से दबा रही है

सऊदी अरब में मोदी की मौजूदगी में लगे ‘भारत माता की जय’ के नारे

देश में ‘भारत माता की जय’ को लेकर विरोध जारी है, लेकिन इस बीच इस्लामी देश सऊदी अरब की राजधानी रियाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान ‘भारत माता की जय’ के नारे लगे. ये नारे नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सऊदी अरब की मुस्लिम महिलाओं ने लगाए.

Modi-12pm-Riyadh-2-580x395जैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस)  के ऑल वूमन आईटी और आईटीईएस के मंच पर पहुंचे खुशी के बीच माहौल काफी खुशगवार हो चला और उस दौरान महिलाओं ने बुलंद आवाज़ में ‘भारत माता की जय’ के नारों का उदघोष किया.

तस्वीरों से जाहिर हो रहा है कि ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने वाली महिलाएं मुस्लिम हैं, क्योंकि उन्होंने बुर्का पहन रखा था. बताया ये भी जा रहा है कि वे सऊदी महिलाएं हैं. इन महिलाओं को टीसीएस ने ट्रेनिंग दी है.

सऊदी अरब की सरज़मीन पर ‘भारत माता की जय’ के नारे लगना इसलिए अहम है, क्योंकि मुसलमानों की सबसे पवित्र जगह मक्का और मदीना इस मुल्क में हैं. मक्का वो शहर है जहां दुनियाभर के मुसलमान हर साल हज करने आते हैं, जबकि मदीना वो शहर है जहां इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहिब की कब्र है.

सऊदी अरब की सरजमीन पर ‘भारत माता की जय’ के नारे ऐसे वक्त लगे हैं, जब देश के सबसे बड़े इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने इसका विरोध किया है और फतवा जारी करके कहा कि ‘भारत माता की जय’ बोलना इस्लाम के खिलाफ है. भारत के कई दूसरे मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम राजनेताओं भी इस नारे का विरोध किया है.

ISIS कर सकता है परमाणु हथियारों का इस्तेमाल : बराक ओबामा

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज यहां वैश्विक परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक में कहा कि इस्लामिक स्टेट के ‘मूर्ख लोग’ और अन्य अतिवादियों को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए और सहयोग की जरुरत है. आतंकवादियों द्वारा परमाणु सामग्री का इस्तेमाल एक ‘डर्टी बम’ में करने या एक परमाणु हथियार प्राप्त करने का खतरा सम्मेलन में छाया रहा विशेष तौर पर इस खुलासे के मद्देनजर, कि आईएस सदस्यों ने बेल्जियम के एक परमाणु वैज्ञानिक की वीडियो बनायी थी. ओबामा ने कहा, ‘आईएसआईएल (आईएस समूह) रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल पहले ही सीरिया और इराक में कर चुका है जिसमें मस्टर्ड गैस भी शामिल है.’ उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं यदि इन मूर्ख लोगों के हाथ में एक परमाणु बम या परमाणु सामग्री लग गई तो वे निश्चित तौर पर उसका इस्तेमाल अधिक से अधिक बेगुनाह लोगों को मारने के लिए करेंगे.’

मसूद अजहर पर निराश भारत ने कहा, हम भुगत रहे हैं खतरनाक अंजाम

भारत ने पठानकोट आतंकवादी हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ता और जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र समिति में सूचीबद्ध करने के उसके आवेदन पर तकनीकी रोक लगाए जाने पर निराशा जाहिर की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हम निराश हैं कि आतंकवादी नेता मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस समिति में सूचीबद्ध करने के भारत के आवेदन पर एक तकनीकी रोक लगा दी गई है जिसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव नम्बर 1267, 1989 और 2253 के तहत हुई है।

उन्होंने कहा कि यह भारत की समझ से परे है कि पाकिस्तान स्थित जैश ए मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसकी ज्ञात आतंकवादी गतिविधियों के लिए सूचीबद्ध किया गया था लेकिन समूह के मुख्य नेता, वित्तपोषक और प्रेरक को सूचीबद्ध करने पर तकनीकी रोक लगा दी गई है। स्वरूप ने कहा कि हाल में दो जनवरी को पठानकोट में हुआ आतंकवादी हमला यह दिखाता है कि अजहर को सूचीबद्ध नहीं करने का खतरनाक दुष्परिणाम भारत भुगत रहा है।

स्वरूप ने कहा कि दो जनवरी को पठानकोट पर हुआ हालिया आतंकी हमला दिखाता है कि मसूद अजहर को सूची में नहीं डालने के खतरनाक परिणाम भारत को लगातार भुगतने पड़ रहे हैं। आतंकवादी समूहों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को देखते हुए इसका परिणाम पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को झेलना पड़ेगा। प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का लक्ष्य सभी सदस्य राष्ट्रों और उनके नागरिकों की जैश और उसके नेता मोहम्मद मसूद अजहर जैसे आतंकवादी समूहों की गतिविधियों से रक्षा करना होना चाहिए।

गौरतलब है कि एक दिन पूर्व ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संयुक्त रूप से आतंकवाद को एक बड़ी समस्या करार दिया था। चिनफिंग ने कहा था कि आतंकवादी खतरा लगातार बढ़ रहा है। सबसे बड़ा विकासशील देश और सबसे बड़ा विकसित देश और साथ ही विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं होने के नाते विश्व शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने की चीन और अमेरिका की जिम्मेदारी बढ़ रही है। बहुत से ऐसे व्यापक क्षेत्र हैं जहां हम दोनों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए और हम कर सकते हैं। एक दिन पहले चीन ने संयुक्त राष्ट्र समिति से अपील की थी कि वह इस दिशा में अभी कदम नहीं बढ़ाए।

वीटो अधिकार के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक चीन ने दावा किया है कि उसका फैसला तथ्यों तथा नियमों पर आधारित था।

कन्‍हैया के भाषण पर एक आम टैक्‍स पेयर ने पूछे ये सवाल

प्रिय कन्‍हैया आपका भाषण सुना, जो आपने जेल से वापस आ कर दिया, सुना है कि आपको ग़रीबी, भुखमरी, जातिवाद, साम्राज्यवाद और पूंजीवाद से आज़ादी चाहिए।

मेरे विचार मे, इन सबसे आजादी पाने के लिए मन लगाकर पढ़ाई करें, खूब मेहनत करें, कॅरियर बनाएं और आगे बढ़ें, तो अपने आप मिल जाएगी आजादी और आपके साथी जो नारे लगा रहे हैं उनको भी ये समझाएं। आपका भाषण तो अच्छा था, लेकिन मैं आपकी बातों में लाजिक ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा था, इसके लिए मेरे दो चार सवाल है ज़वाब देने की मेहरबानी करें।

1- आपका भाषण तो पूरा राजनीतिक था, तो ये पढ़ाई का ढोंग क्यों? बाहर आइए और राजनीति में कॅरियर चमकाइए और अपनी जगह किसी उपयुक्त छात्र को दीजिये जो पढ़ाई के नाम पर राजनीति न करे। पढ़ाई के नाम पर ये मुफ़्तख़ोरी बंद करिये, आपके राजनीतिक कॅरियर पर टैक्स पेयर जनता का पैसा बर्बाद क्यों हो?

2- ग़रीबी, भुखमरी, जातिवाद, साम्राज्यवाद और पूंजीवाद, लेकिन ये नही बताया ये समस्या कब से है? और इसके असली जिम्मेदार कौन है?  ज़रा बताएंगे ये सारी समस्यायें कब से हैं? या ये सिर्फ पिछले 18 महीने मे खड़ी हुई हैं? जो पार्टी 60 सालों से राज कर रही थी उसकी जवाबदारी कितनी मानते है या उनके शासन में रामराज्य था?

3- आपके बताया नहीं कि ग़रीबी, भुखमरी, जातिवाद, साम्राज्यवाद और पूंजीवाद को कैसे हटाएंगे और इसका ब्लूप्रिंट क्या है या सिर्फ़ नारों से हट जाएगी? आज सारी दुनिया मे वामपंथ फ़ेल हो चुका है तो ये भारत में किस तरह से सफल होगा?

4- आपकी पार्टी की सरकार पश्चिम बंगाल मे 35 साल तक थी, आप बताएंगे कितनी ग़रीबी, भुखमरी या जातिवाद दूर हो गया? आंकड़े तो इसका उल्टा ही बताते हैं, तो हम क्यो विश्वास करें आपका?

5- अगर भारत के संविधान या लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करते हैं, तो जनता के बीच जाकर, चुनाव लड़कर ईमानदारी से सिस्टम मे सुधार करते और ग़रीबी भुखमरी के खिलाफ लड़ते न कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के खिलाफ ज़हर उगलते।

6-आपको पुलिसवाला अपने जैसा ही इंसान लगा, अच्छी बात है पर बताएंगे, जिन पुलिसवालों को दंतेवाड़ा में आपके साथियों (DSU) ने मारा वो अपने जैसे लगते थे या नहीं? जिनकी मौत पर JNU में जश्न मनाया जाता है, वो भी ग़रीब परिवार के ही थे जिन्हें लाल सलाम वालों ने मारा है। फिर पुलिस वालों से आपको सहानुभूति है ना, कितने पुलिसवाले संसद में हुए हमले में मरे हैं, ये पता है आपको?

7- आपको फ़ौजी भी अपने जैसे लगते हैं ना, तो आपके साथ कंधे से कंधा मिला कर जो नारे देते हैं ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ कभी सोचा है उनके उपर क्या गुज़रती होगी? उनका मोरल कितना डाउन होता होगा? कभी सोचा है एक भारतीय की आत्मा तड़पती है, जब JNU के ये नारे सुनते हैं “भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी” आपको भी यही लगता तो आप कहीं विरोध दर्ज करते ना।

8- आप कहते है कि इस देश के क़ानून पर आपको भरोसा है, तो कैसे आपके साथी तो आपके सामने ही नारा देते हैं? “अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं, तेरे क़ातिल ज़िंदा हैं  “कितने अफ़ज़ल मारोगे, घर घर से अफ़ज़ल निकलेगा”, ये भारत की सर्वोच्च न्यायालय का ही तो फ़ैसला था फिर ये आपका ढोंग नहीं है तो और क्या है?

9- रोहित वेमुला जिसका SFI से मोहभंग हो चुका था उसका येचुरी के बारे में लिखा ख़त/विचार क्यो नहीं बताया? क्योंकि वो आपकी विचारधारा को सपोर्ट नहीं करता? मरने वाला इंसान कभी झूठ नहीं बोलता और dying declaration तो कोर्ट भी मानता है, जब रोहित ने आख़िरी ख़त में किसी को भी ज़िम्मेदार नहीं बताया पर आप किसी न किसी तरह से इसका भी राजनीतिक फ़ायदा उठाना चाहते हैं, तभी तो ये मुद्दा बार-बार उठाते हैं

दरअसल आपकी असली समस्या है एबीवीपी, आरएसएस, बीजेपी और मोदी जिनसे आज़ादी चाहिए। आपको लोकतांत्रिक ढंग से चुनी सरकार नहीं चाहिए, क्योंकि आपको पंसद नही, उसके जाने के बाद सब आज़ादी मिल जाएगी। भाषण की जगह बस एकबार अपना ही जजमेंट ही पढ़ कर सुना देते छात्रों के सामने, ख़ुद पर शर्म आ जाएगी और सारी ग़लतफ़हमी दूर हो जाएगी

एक आम भारतीय