भारत_के_इस्लामीकरण के लिए क्या-क्या किया जा रहा है ?

मुसलमान भारत का इस्लामीकरण क्यों करना चाहते है ?
जानिये — क्या सोचते है ये लोग….
पाकिस्तान मिलने के बाद मुसलमानों ने नारा दिया :
*”हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़के लेंगे हिन्दोस्तान”।*
इसीलिए १९४७ से ही भारत में इस्लामी जिहाद जारी है जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी एवं भारतीय मुसलमान सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
देखिए कुछ प्रमाण :-
(i) हकीम अजमल खां ने कहा ”एक ओर भारत और दूसरी ओर एशिया माइनर(तुर्की) भावी इस्लामी संघ रूपी जंजीर की दो छोर की कड़ियां हैं जो धीर-धीरे, किन्तु निश्चय ही बीच के सभी देशों को एक विशाल संघ में जोड़ने जा रही हैं” (भाषण का अंश खिलाफत कंफारेंस, अहमदाबाद १९२१, आई.ए.आर. १९९२, पृ. ४४७)
(ii) कांग्रेस नेता एवं भूतपूर्व शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने पूरे भारत के इस्लामीकरण की वकालत करते हुए कहा– ”भारत जैसे देश को जो एक बार मुसलमानों के शासन में रह चुका है, कभी भी त्यागा नहीं जा सकता और प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य है कि उस खोई हुई मुस्लिम सत्ता को फिर से प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना” — बी.आर. नन्दा, गाँधी ,पैन इस्लामिज्म, इम्पीरियलज्म एण्ड नेशनलिज्म पृ. ११७)
(iii) एफ. ए. दुर्रानी ने कहा- ”भारत-सम्पूर्ण भारत हमारी पैतृक सम्पत्ति है । उसपर फिर से इस्लाम के लिए विजय प्राप्त करना नितांत आवश्यक है तथा पाकिस्तान का निर्माण इसलिए महत्वपूर्ण था कि उसका शिविर यानी पड़ाव बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण किया जा सके।”
(पुरुषोत्तम, मुस्लिम राजनीतिक चिन्तन और आकांक्षाएँ, पृ. ५१,५३)
(
iv) मौलाना मौदूदी का कथन है कि ”मुस्लिम भी भारत की स्वतंत्रता के उतने ही इच्छुक थे जितने कि दूसरे लोग। किन्तु वे इसे एक साधन, एक पड़ाव मानते थे, ध्येय (मंजिल) नहीं। उनका ध्येय एक ऐसे राज्य की स्थापना का था जिसमें मुसलमानों को विदेशी अथवा अपने ही देश के गैर-मुस्लिमों की प्रजा बनकर रहना न पड़े। वह इसलामी शासन यानी दारूल-इस्लाम (शरीयः शासन) की कल्पना के, जितना सम्भव हो, निकट हो। मुस्लिम, भारत सरकार में, भारतीय होने के नाते नहीं, मुस्लिम होने की हैसियत से भागीदार हों।”
(डॉ. ताराचन्द्र, हिस्ट्री ऑफ दी फ्रीडम मूवमेंट, खंड ३, पृ. २८७)
(v) हामिद दलवई का मत है कि ”आज भी भारत के मुसलमानों और पाकिस्तान में भी ऐसे प्रभावशाली गुट मौजूद हैं, जिनकी अन्तिम मांग पूरे भारत का इस्लाम में धर्मान्तरण है”। (मुस्लिम डिलेमा इन इंडिया, पृ. ३५)
(vi) बांग्लादेश के जहांगीर खां ने ”बांग्लादेश, पाकिस्तान, कश्मीर तथा पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के मुस्लिम-बहुल कुछ भागों को मिलाकर मुगलियास्थान नामक इस्लामी राष्ट्र बनने का सपना संजोया है।” (मुसलमान रिसर्च इंस्टीट्‌यूट, जहांगीर नगर, बांग्लादेश, २०००)
(vii) सउदी अरेबिया के प्रोफेसर नासिर बिन सुलेमान अल उमर का कथन है कि ”भारत स्वयं टूट रहा है।
यहाँ इस्लाम तेज गति से बढ़ रहा है और हजारों मुसलमान, पुलिस, सेना और राज्य शासन व्यवस्था में घुस चुके हैं और भारत में इस्लाम सबसे बड़ा दूसरा धर्म है।
आज भारत भी विध्वंस के कगार पर है।
जिस प्रकार किसी राष्ट्र को उठने में दसियों वर्ष लगते हैं उसी प्रकार उसके ध्वंस होने में भी लगते हैं।
*भारत एकदम रातों-रात समाप्त नहीं होगा।*
*इसे धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा।*
*निश्चय ही भारत नष्ट कर दिया जाएगा।”*
 (आर्गे; १८.७.०४)।
इसीलिए मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना वहीदुद्‌दीन ने सुझाव दिया कि –
*”मुसलमानों को कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए और आगे चलकर उनमें से एक निश्चय ही भारत का प्रधान मंत्री हो जाएगा।”*
(हिन्दु. टा. २५.१.९६) (हिन्दु. टा. २५.१.९६)
पाकिस्तानी जिहादियों का उद्‌देश्य भी अगस्त १९४७ का अधूरा कार्यक्रम पूरा करना है यानी पहले कश्मीर और फिर शेष भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना।
इसके लिए न केवल जिहादी संगठनों बल्कि आई.एस.आई. और तालिबान व पाकिस्तानी सेना का भी समर्थन है क्योंकि भूतपूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक ने
*”पाकिस्तानी सेना को ‘अल्लाह के लिए जिहाद’ (जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह) का ‘मोटो’ या ‘आदर्श वाक्य’ दिया था।*
(एस. सरीन, दी जिहाद फैक्ट्री पृ. ३२१)
जिहादियों के उद्‌देश्य को स्पष्ट करते हुए मरकज दवाल वल इरशाद के अमीर हाफिज़ मुहम्मद सईद ने कहाः
*”कश्मीर को भारत से मुक्त कराने के बाद लश्करे तयबा वहीं नहीं रुकेगा बल्कि भारतीय मुसलमानों, जिन पर हिन्दुओं द्वारा अत्याचार हो रहे हैं, के सहयोग से आगे जाएगा और उन्हें बचाएगा। कश्मीर तो  असली लक्ष्य भारत तक पहुँचने का दरवाजा है।”*
(नेशन, ४.११.१९९८)।
उन्होंने ७.११.१९९८ को ‘पाकिस्तान टाइम्स’ में लिखाः– ”आखिर में लश्करे तैयबा दिल्ली, तेल अवीब (इज्राइल) और वाशिंगटन के पर झंडा फहराएगा।”
उन्होंने २७ नवम्बर १९९८ को फिर ‘फ्राइडे टाइम्स’ में लिखाः–
*”मुस्लिम समाज की सभी समस्याओं का हल जिहाद है क्योंकि सभी इस्लाम विरोधी ताकतें मुसलमानों के विरुद्ध जुट गई हैं। मुजाहिदीन भारतीय क्रूरताओं, जो कि निरपराधी कश्मीरियों को भयभीत कर रहे हैं; के विरुद्ध जिहाद कर रहे हैं।*
*लश्कर के मुजाहिदीन, विश्व भर में आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”*
इसी लहजे में उन्होंने १८.०८.२००४ को ‘निदा ए मिललक्त’ में लिखा”–
*”वास्तव में पाकिस्तान तो इस महाद्वीप के मुसलमानों के लिए एक देश है। इसीलिए यह कश्मीर बिना अधूरा है। पाकिस्तान भी हैदराबाद, जूनागढ़ और मुम्बई (महाराष्ट्र) के बिना अधूरा है क्योंकि इन राज्यों ने (१९४७ में) पाकिस्तान में विलय की घोषणा की थी।*
*लेकिन हिन्दुओं के कब्जे से मुक्त कराऐं, और उनकी मुस्लिम आबादी को यह आश्वासन दिया जाएगा कि वे पाकिस्तान के पूर्ण होने के लिए हमारा यह लक्ष्य है। हम भारत में वाणी और कलम से यह उद्‌देश्य प्रचारित करते रहेंगे और जिहाद द्वारा उन राज्यों को वापिस लेंगे।”*
(सरीन, वही. पृ. ३१२)
शायद इसीलिए पाकिस्तानी जिहादियों ने २६.११.२००८ को मुम्बई पर हमला किया था। साथ ही यह ऐतिहासिक सत्य है कि १९४७ में सभी राज्यों ने स्वेच्छा से भारत में विलय किया था।
जैसे जैश-ए-मुहम्मद के अध्यक्ष मौलाना “मसूद अजहर”, जिन्हें २००० में कंधार में हवाई जहाज में बन्धक बनाए १६० यात्रियों के बदले छोड़ा गया था, ने हजारों लोगों की उपस्थिति में कहाः
*”भारतीयों और उनको बतलाओ, जिन्होंने मुसलमानों को सताया हुआ है, कि मुजाहिदीन अल्लाह की सेना है और वे जल्दी ही इस दुनिया पर इस्लाम का झंडा फहराएंगे।*
*मैं यहाँ केवल इसलिए आया हूँ कि मुझे और साथी चाहिए। मुझे मुजाहिदीन (जिहादियों) की जरूरत है जो कि कश्मीर की मुक्ति के लिए लड़ सकें। मैं तब तक शान्ति से नहीं बैठूंगा जब तक कि मुसलमान मुक्त नहीं हो जाते।*
*इसलिए (ओ युवकों) जिहाद के लिए शादी करो, जिहाद के लिए बच्चे पैदा करो और केवल जिहाद के लिए धन कमाओ जब तक कि अमरीका और भारत की क्रूरता समाप्त नहीं हो जाती। लेकिन पहले भारत।”*
(न्यूज ८.१.२०००)
तहरीक-ए-तालिबान के सदर हकीमुल्लाह ने कहाः–
*”हम इस्लामी मुल्क चाहते हैं। ऐसा होते ही हम मुल्की सीमाओं पर जाकर भारतीयों के खिलाफ जंग में मदद करेंगे।’*
(दै. जागरण, १६.१०.२००९)
भारतीय व पाकिस्तानी मुसलमान पिछले ६२ वर्षों से एक तरफ कश्मीर में हिंसापूर्ण जिहाद कर रहे हैं जिसके कारण पांच लाख हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी हो गए तथा हजारों सैनिक व निरपराध नागरिक मारे जा चुके हैं
तथा दूसरी तरफ वे शान्तिपूर्ण जिहाद द्वारा भारत सरकार के सामने नित नई आर्थिक, धार्मिक व राजनैतिक मांगें रख रहे हैं।
इनके कुछ नमूने देखिए:—
*1- राजनैतिक मांगे :—*
(१) मुस्लिम व्यक्तिगत कानून का अधिकाधिक प्रयोग एवं सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करना,
(२) समान आचार संहिता का विरोध करना,
(३) गैर-कानूनी ढंग से आए बांग्लादेशी मुस्लिमों की वापसी का विरोध करना,
(४) बांग्लादेशी व पाकिस्तानी नागरिकों को विज़ा(visa) अवधि समाप्त होने पर भी रुके रहने में सहयोग देना,
(५) पुलिस, सेना व अर्धसैनिक बलों व संवेदनशील विभागों में मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग करना,
(६) पाकिस्तान के लिए सेना सम्बन्धी गुप्तचरी करने एवं उसमें सहयोग देना,
(७) पाकिस्तानी आई.एस.आई. की कार्य योजनाओं में सहयोग देना,
(८) जिहादी कार्यों के लिए नशीले पदार्थों की तस्करी करना,
(९) नकली नोटों का प्रसार करना या दूसरों से करवाना,
(१०) भारत में राजनैतिक अस्थिरता एवं अलगाववाद पैदा करने के लिए आंदोलनों में सहयोग देना,
(११) म्युनिसिपल, राज्य एवं संसद के चुनावों में विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के सहयोग से मुस्लिम या मुस्लिम हितकारी नेताओं को कूटनीति से वोट डालकर चुनाव में जिताना, और अधिकाधिक राजनैतिक सत्ता एवं आर्थिक लाभ प्राप्त करना,
(१२) मुस्लिम वोट बैंक के बदले अधिकाधिक राजनैतिक, धार्मिक व आर्थिक सुविधाओं की मांग आदि आदि।
*2:— मुसलमानों के लिए सरकारी आर्थिक सहायता व नौकरियों में आरक्षण—*
(१) मुसलमान युवकों को रोजगार-परक शिक्षा के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्कूल खुलवाना,
(२) उर्दू के विकास के लिए संघर्ष करना,
(३) सामान्य व प्रोफेशनल कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण मांगना,
(४) स्पर्धा वाली सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष वजीफा व सुविधाएं आदि मांगना,
(५) सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं में नौकरियों में आरक्षण मांगना,
(६) निजी व्यवसाय खोलने के लिए कम ब्याज दर पर पर्याप्त ऋण पाने की मांग करना आदि।
*3:— धार्मिक कार्यों के लिए आर्थिक सहायता—*
(१) बढ़ती मुस्लिम जनसंखया के लिए अधिकाधिक हज के लिए सब्सिडी की मांग करना,
(२) मुस्लिम बहुल वह अन्य राज्यों में भी हज हाउसों की स्थापना की मांग करना,
(३) मस्जिद, मदरसा व धार्मिक साहित्य के लिए प्राप्त विदेशी सहायता पर सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करना,
(४) उर्दू के अखबारों के लिए सरकारी विज्ञापन एवं धार्मिक साहित्य छापने के लिए सस्ते दामों पर कागज का कोटा माँगना,
(५) मस्जिदों के इमामों के लिए वेतन माँगना,
(६) वक्फ बोर्ड के नाम पर राष्ट्रीय सम्पत्ति पर कब्जा करना एवं सरकारी सहायता मांगना आदि।
*4:— कट्‌टरपंथी इस्लामी शिक्षा का प्रसार—*
(१) इसके लिए सरकारी सहायता की मांग करना तथा कम्प्यूटर के प्रशिक्षण के बाद इन्टरनेट, ई-मेल आदि से इस्लाम का प्रचार करना;
(२) मदरसों द्वारा धार्मिक कट्‌टरता पैदा करना
(३) अनाधिकृत मदरसों और मस्जिदों में गुपचुप आतंकवाद का प्रशिक्षण देना,
(४) अरबी संस्कृति को अपनाने पर बल देना,
(५) मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा को बढ़ावा देने व पाठ्‌यक्रम में सुधार में सरकार के प्रयास पर आपत्ति करना,
(६) मदरसों के प्रबंधन में किसी भी प्रकार के सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करना आदि।
*5:— मुस्लिम जनसंखया-*
 मुस्लिम जनसंखया वृद्धि दर को बढ़ाना ताकि अगले १५-२० वर्षों में वे बहुमत में आकर भारत की सत्ता के स्वतः वैधानिक अधिकारी हो जावें। इसके लिए —
(१) बहु-विवाह करना,
(२) परिवार नियोजन न अपनाना,
(३) हिन्दू लड़कियों का अपहरण करना,
(४) धनी व शिक्षित हिन्दू लड़कियों को स्कूल व कॉलेजों में तथा कार्यालयों में प्रेमजाल में फंसाकर एवं धर्मांतरण कर विवाह करना,
(५) बांग्लादेश के मुसलमान युवकों को योजनापूर्ण ढंग से भारत में बसाना, उनकी यहाँ की लड़कियों से शादी कराना व रोजगार दिलाना,
(६) हिन्दुओं का धर्मान्तरण करना आदि।
*6:— प्रचार माध्यमों पर कब्जा करना—*
(१) गै़र-मुस्लिम लेखकों को आर्थिक व अन्य प्रकार के प्रलोभन देकर इस्लाम हितकारी दृष्टिकोण को पत्र-पत्रिकाओं, प्रचार माध्यमों, रेडियो, टी.वी. आदि में सामग्री प्रस्तुत करना,
(२) फिल्मों में इस्लाम के उदार व मानवीय स्वरूप को प्रस्तुत करना,
३) उच्च पदों पर मुस्लिम एवं मुस्लिम हितमारी व्यक्तियों को बिठाना,
(४) शोध के नाम पर गैर-मुस्लिमों के प्राचीन इतिहास को विकृत करना,
(५) रक्त रंजित भारतीय मुस्लिम इतिहास को उदार प्रस्तुत करना,
(६) हिन्दुओं की धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं की खुले आम निंदा करना,
(७) इसके विपरीत इस्लाम पर खुली बहस की जगह ‘जिहाद बिल सैफ’ द्वारा इस्लाम के आलोचकों को प्रताड़ित एवं हत्या करना,
(८) हिन्दुओं का खुले आम धर्मान्तरण करने को तो उचित ठहराना परन्तु यदि कोई मुस्लिम लड़का या लड़की स्वतः हिन्दू बन जाए तो उससे संबंधित हिन्दू पारिवारजनों की हत्या करना आदि।
आश्चर्य तो यह है कि
*एक तरफ सरकार भारत को  “धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र” कहती है … और दूसरी तरफ धर्म के आधार पर मुसलमानों व ईसाइयों को विशेष सुविधाएँ देती है .. जो पूर्णतया असंवैधानिक है।*
*इसके अलावा १५ प्रतिशत भारतीय मुसलमान किसी भी “मापदण्ड” में “अल्पसंखयक” नहीं हैं।*

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