
सुमन के पिता पवन कुमार बोदन पेशे से एक नेत्र-चिकित्सक हैं और गरीब गांववालों का मुफ़्त इलाज करते हैं। कम आय के बावजूद उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को उच्च शिक्षा दिलायी।उनकी बड़ी बेटी साफ़्टवेयर इंजीनियर ,दूसरी बेटी चार्टर्ड अकाउंटेंट और सुमन एक जज …। हैदराबाद (सिंध) से एल एल बी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सुमन ने कराची के शहीद ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो इंस्टिट्यूशन से स्नातकोत्तर किया। परिवार की मामूली आमदनी हो या रूढ़िवादी समाज-कुछ भी उनके उत्थान में बाधा न बना। बेटी की सफलता पर उनके पिता काफी ख़ुश नज़र आए। पाकिस्तानी मीडिया के सम्मुख अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि-” सुमन ने एक चुनौतीपूर्ण पेशे का चुनाव किया है। लेकिन मुझे दृढ़ विश्वास है कि कड़ी मेहनत और ईमानदारी से वह ज़रूर अपने मुकाम तक पहुंचेगी।”
पाकिस्तान जैसे देश में जहां से आए दिन अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्मो-सितम की ख़बरें आती रहती हैं, वहां इस तरह की घटना वाक़ई अहमियत रखती है।
बहरहाल ऐसा नहीं है कि पहली बार न्यायाधीश के पद पर किसी हिंदू की नियुक्ति हुई हो, इससे पहले 2005 से 2007 तक राणा भगवान दास ने पाकिस्तान के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला था।