
कल हमने सोशल मीडिया पर बाउरी समुदाय (जो हिंदू समाज का एक अभिन्न अंग है) की एक घटना के बारे में पोस्ट किया था। तकरीबन ढाई साल पहले रेहाना खातून ने पश्चिम मिदनापुर जिलांतर्गत (पश्चिम बंगाल) बेनिसुली क्षेत्र के नयाग्राम निवासी रवींद्रनाथ चालक के बेटे शंकु चालक से स्वेच्छा से शादी की थी।
वह पड़ोस के ही गांव की है। शादी के बाद वह अपनी पारंपरिक हिंदू जड़ों की ओर लौट आई(हिंदू धर्म में घर वापसी कर ली) । शंकु के परिवारवालों ने भी उसे अपने परिवार में एक हिंदू गृहिणी के रूप में स्वीकार कर लिया है। पिछले कुछ दिनों से कुछ हिंदू विरोधी शक्तियों ने इस विवाह के खिलाफ अभियान चलाना शुरू कर दिया । उन्होंने शंकु के परिवार और उनके रिश्तेदारों के 9 अन्य परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया।
हिंदू संहति ने बहिष्कार का कड़ा विरोध किया है। हमें लगता है कि शंकु का प्रयास सराहनीय है। हिंदू संहति के अध्यक्ष देबतनु भट्टाचार्य ने सामाजिक बहिष्कार की घोषणा के बाद शंकु की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाने के अपने निर्णय की घोषणा की। हिंदू संहति के दो महासचिव सागर हालदर और मुकुंद कोले कल मिदनापुर पहुंचे। हिंदू संहति के एक प्रमुख स्थानीय कार्यकर्ता प्रोसेनजीत दास के साथ, वे शंकु और उनकी पत्नी से मिले। उन्होंने उन्हें आवश्यक राहत प्रदान की। वे उनका साथ देने का संदेश लेकर आए थे।
आज हिन्दू संहति के अध्यक्ष देबतनु भट्टाचार्य ने बाउरी समाज कल्याण समिति (पश्चिम बंगाल) के अध्यक्ष और समुदाय के अन्य प्रभावशाली सदस्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल विधान सभा के बाउरी समाज और अन्य अनुसुचित जाति के सदस्यों को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का निवेदन किया। पत्र में उन्होंने आशा व्यक्त की कि उनके हस्तक्षेप से सामाजिक बहिष्कार समाप्त हो जाएगा और बाउरी समाज सम्मानपूर्वक शंकु बाउरी और उनकी पत्नी को स्वीकार करेगा।