पुलिस की भूमिका कितनी भी नकारात्मक, घृणास्पद क्यों न हो, हिंदू संहति के कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं तोड़ पाएगी।

1 जुलाई को, समुद्रगढ़ रेलवे स्टेशन से सटे टोटो स्टैंड पर टोटो यूनियन के सह सचिव अभिजीत मिस्त्री, हिंदू संहति के जुझारू कार्यकर्ता(समुद्रगढ़ क्षेत्र के) और उक्त टोटो स्टैंड पर टोटो चालकों में से एक शिबु राजबंशी के साथ भिड़ गए। लड़ाई के दौरान, एक समय के कांग्रेस नेता शौकत ख़ान के दो भतीजे बबला खान और मिठू खान, यूनियन के नेता की ओर से शिबू पर हमला कर दिया। यानी हिंदू संहति के एक कार्यकर्ता के खिलाफ लड़ाई में दूसरी तरफ तीन जने ! तब भी वे इसका फायदा नहीं उठा सके। उनकी ओर से टोटो यूनियन के एक अन्य नेता बीरेन घरामी ने लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि शिबु ने तीनों को बुरी तरह पीटा । पुलिस तुरंत ही अति सक्रिय होकर शिबु की तलाश शुरू कर दी और आखिरकार उसे गिरफ्तार कर लिया।

हिंदू संहति के अध्यक्ष देबतनु भट्टाचार्य ने उसी दिन एक स्पष्ट संदेश भेजा कि संगठन शिबु राजबंशी और उनके परिवार के साथ खड़ा होगा। संगठन ने वरिष्ठ वकीलों को भी नियुक्त किया है। शिबु का बचाव करने हेतु जाने-माने वरिष्ठ वकील गौतम गोस्वामी को कालना कोर्ट में नियुक्त किया गया । न्यायाधीश ने 2 जुलाई को शिबु को हिरासत में भेज दिया। 9 जुलाई को पुलिस ने जानबूझकर चोट की रिपोर्ट नहीं दी,जिसके चलते शिबु को जमानत नहीं मिली । पुलिस ने आज कोर्ट को चोट की रिपोर्ट सौंपी। इसमें उल्लेख है कि शिबु की अत्यधिक पिटाई से यूनियन नेता के पैर की हड्डी टूट गई । सिर भी बुरी तरह जख्मी हो गया। सात दिन बाद भी पुलिस चोटों की गंभीरता का खुलासा नहीं कर सकी। 14 दिनों के बाद ही आघात रिपोर्ट सौंप पाई। जिस न्यायाधीश के समक्ष मामला दायर किया गया था वह आज उपस्थित नहीं था।

कम से कम जज ने मामले की सुनवाई तो की।

हिंदू संहति के वकील के कड़े सवालों के बावजूद, चोट की रिपोर्ट के कारण जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
16/07/20 को संगठन के केंद्रीय महासचिव श्री सागर हलदर के नेतृत्व में हिंदू संहति के चार केंद्रीय कार्यकर्ता कालना कोर्ट पहुंचे। जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने वकील से जल्द से जल्द जिला अदालत में जमानत के लिए आवेदन करने को कहा। वहीं, शिबु राजबंशी की मां, पत्नी, अदालत परिसर में मौजूद अन्य रिश्तेदारों और समुद्रगढ़ में मौजूद हिंदू संहति के कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें शिबु की गतिविधियों पर गर्व है। हमने हिंदू संहति की ओर से उनके परिवार की जरूरतों और कानूनी सहायता का पूरा ख्याल रखा और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे। चिंता करने का कोई कारण नहीं है। हिंदू संहति शिबु राजबंशी और उनके परिवार के साथ है और हमेशा उनके साथ रहेगी।

बंद करो गौ-हत्या – मांग करती है हिंदू संहति

जबकि असम में भाजपा सरकार ने हाल ही में राज्य भर में गोहत्या को रोकने की पहल की, पश्चिम बंगाल में इस मुद्दे पर राज्य सरकार की उदासीनता देखी जा सकती है। ऐसा अति दक्षिणपंथी संगठन हिंदू संहति का आरोप है।

पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के मानवाधिकारों के लिए मुखर इस लोकप्रिय संगठन के उपाध्यक्ष शांतनु सिंह ने असम में गोहत्या को रोकने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा के कदम को एक “साहसिक अध्याय” बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में जिहादी शक्तियों के तेजी से फलने-फूलने को लेकर चिंतित हैं।
दोनों राज्यों की स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए शांतनु सिंह ने कहा कि कभी असम में बंगालियों से नफरत की जाती थी लेकिन अब असमिया समाज समझ गया है कि बंगाली हिंदू हैं इसलिए उनसे डरने की कोई बात नहीं और डर का वास्तविक कारण तो भारत विरोधी घुसपैठिए मुसलमान है।
सिंह जी ने कहा कि चिंता का कारण समग्र स्थिति और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की उदासीनता है।
“असम के हिंदुओं ने प्रर्दशित किया कि वे क्या चाहते हैं, जबकि कुछ साल पहले तक, असम की स्थिति विकट थी। असम में स्थिति पश्चिम बंगाल की तुलना में बदतर थी। लेकिन ऐसा नहीं है किसी अलौकिक शक्ति विशेष या दैवी शक्ति के चलते असम की स्थिति मौलिक रूप से बदल गई हो, बल्कि जिहादी शक्तियों के हिंदुओं की सामूहिक इच्छाशक्ति के आगे झुक जाने की वजह से ही यह संभव हुआ है। पेट्रो-डॉलर (अरब देशों से प्राप्त धन ) पर पनपने वाले बदरुद्दीन अजमल सांप्रदायिक राजनीति के रसातल में डूब गए हैं।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तस्वीर बिल्कुल विपरीत है, क्योंकि यहां के हिंदू जिहादी ताकतों के प्रति उदासीन रहे हैं। इसलिए ये अपवित्र ताकतें उन्हें (हिंदुओं को) रौंद रही हैं और अपनी संस्कृति को लेकर उछल-कूद रही हैं,उत्पात मचा रही हैं।
“किसी भी सभ्य देश में गायों को कहीं भी, जहां तहां वध करते नहीं देखा जाता है। जॉर्डन जैसे देश में, जो पहले एक ईसाई देश हुआ करता था और बाद में जहां इस्लामी राष्ट्र कायम हुआ , वहां एक मुर्गे तक का भी वध सिर्फ़ बूचड़खाने में ही किया जाता है। वहां प्रशासन की सहमति के बिना पशु वध प्रतिबंधित है। यदि यह (पशु-हत्या पर प्रतिबंध) एक मुस्लिम देश में किया जा सकता है, तो भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए? शांतनु बाबू ने सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, “ईद के दौरान हर जगह धीरे-धीरे मरने वाली गायों के कटे गले और जहां तहां खून ही ख़ून – वास्तव में ही बहुत दर्दनाक दृश्य होते हैं और ऐसे दृश्य मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। क्या इसका मतलब सभ्यता के प्रगतिशील युग का मध्ययुगीन रीति-रिवाजों की चपेट में आ जाना नहीं है ? एक सभ्य देश का प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। सिर्फ असम में ही क्यों? क्या पश्चिम बंगाल में कोई हिंदू नहीं है? इसीलिए हिंदू संहति मांग करती है कि पश्चिम बंगाल के सभी हिस्सों में गोहत्या पर फ़ौरन प्रतिबंध लगाया जाए।”

हिंदू संहति के संस्थापक स्वर्गीय तपन घोष जी का स्मरणोत्सव

आज संस्था के संस्थापक स्वर्गीय तपन घोष जी को हिन्दू संहति की ओर से सम्मान के साथ याद किया गया। विभिन्न स्थानों में संगठन के कार्यकर्ताओं ने उनके आदर्शों और कार्य नैतिकत्व के बारे में गंभीर चर्चा के माध्यम से उन्हें याद किया और तपन दा के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा पुष्प अर्पित की। हिन्दू संहति की केन्द्रीय समिति के पदाधिकारियों ने शाम 7 बजे से हिन्दू संहति (जादवपुर) के मुख्य कार्यालय में तपन दा की स्मृति में आयोजित एक गोष्ठी में भाग लिया। संगठन की शुरुआत से ही तपन घोष जी ने बंगाल के हिंदू समाज को संदेश दिया कि यह रास्ता संघर्ष का रास्ता है – जिहादी आक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध का रास्ता। संगठन के गठन के पहले वर्ष में ही, दक्षिण 24 परगना (पश्चिम बंगाल) के गंगासागर में प्रथम कार्यकारिणी की बैठक के दौरान जिहादी ताकतों के साथ भीषण संघर्ष हुआ और जिसके अपरिहार्य परिणामस्वरूप कार्यकर्ताओं को जेल, अदालत आदि मुसीबतें भी झेलनी पड़ीं। वर्तमान हिंदू संहति के केंद्रीय महासचिवों में से एक सुंदर गोपाल दास, जो उस समय तपन दा के साथ जेल में थे, ने घटना का विस्तृत विवरण दिया। हिंदू संहति के केंद्रीय सह अध्यक्षों में से एक डॉ अभिषेक बनर्जी ने अपने स्वयं के अनुभवों से तपन घोष जी के जीवन का सुखद विवरण दिया कि – उनके दिल में संगठन के सभी कार्यकर्ताओं के लिए अपार स्नेह था और उन्होंने सभी का मार्गदर्शन करने का प्रयास किया। सभी को सही दिशा दिखायी ‌। हिंदू संहति के केंद्रीय सह-अध्यक्ष, प्रख्यात वकील शांतनु सिंह ने बंगाल में हिंदू हितों के लिए तपन घोष जी के योगदान का एक परिपूर्ण तस्वीर पेश की, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। तपन घोष जी की कहीं बातें , जैसे कि – “माटी कारो बापेर नोय, दापेर”, यानी”भूमि किसी के बाप या दादाओं-परदादाओं की नहीं होती, बल्कि उनकी होती है जो पराक्रमी हैं” (दूसरे शब्दों में, जमीन या स्वभूमि का अधिकार विरासत में नहीं मिलता, भूमि छीन लेनी पड़ती है अर्थात जिसकी लाठी उसकी जमीन), “यदि तुम एक जानवर हो, तो हम भूखे शिकारी हैं” आदि – वक्ताओं के भाषणों में बार-बार गूंजती रहीं।। फेसबुक लाइव पर इस कार्यक्रम की मेजबानी हिंदू संहति के केंद्रीय महासचिवों में से एक रजत राय ने की । कार्यक्रम का समापन जनता को एक स्पष्ट संदेश के साथ हुआ कि हिंदू संहति तपन घोष जी के अधूरे काम को उनके बताए उपायों-दिशानिर्देशों से ही पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आजकल केरल में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट से सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि ईसाई भी डरे हुए हैं। लिहाज़ा ‘लव जिहाद’ से डरा हुआ ‘चर्च’ ईसाई लड़कियों को इस खतरे से बचाने के लिए इस मुद्दे को काफी अहमियत दे रहा है,इसकी कटु आलोचना कर रहा है

केरल में मुस्लिम आबादी भयावह रूप से बढ़ रही है। इस असामान्य रूप से जनसंख्या विस्फोट ने हिंदुओं और ईसाइयों के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। इस साल केरल में मुस्लिम आबादी 35.6% दर्ज की गई है।

हाल ही में ईसाई सोशल मीडिया समूहों पर वायरल हुए एक वीडियो में एक युवती को उसके माता-पिता की सहमति के बिना अपने प्रेमी से शादी करते हुए दिखाया गया है और बाद में उसे पता चलता है कि उसका पति जालीदार टोपी पहना हुआ एक मुस्लिम है।

वीडियो में दिखाया गया है कि युवती का पति जबरदस्ती उसके माथे की बिंदी उतारता है, उसके सिर को एक दुपट्टे से ढक देता है। उसे कुरान देता है और बाद में अपनी पत्नी को इस्लामिक आतंकवादियों को बेच देता है।

केरल स्थित ईसाई संस्था क्रिश्चियन एसोसिएशन और अलायंस फॉर सोशल एक्शन (CASA) के सदस्यों ने फेसबुक पर वीडियो साझा करते हुए इसे “लव जिहाद का पर्दाफाश” कहा है।

मलयालम भाषा के इस वीडियो में कहा गया है, “सीपीआईएम का लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और कांग्रेस का यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट – सभी जिहादियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, पनाह दे रहे हैं। आतंकवादी खुलेआम ‘लव जिहाद’ को अंजाम दे रहे हैं। हम सभी को इसे रोकना चाहिए और उग्रवादियों को नेस्तनाबूद कर देना चाहिए , उन्हें जड़ से मिटा मिटा देना चाहिए।”

पिछले साल, सिरो-मालाबार चर्च(Syro-Malabar Church) ने एक बयान में चिंता व्यक्त की थी कि केरल में मुसलमान लव जिहाद का जहर फैला रहे हैं और वे (चर्च) इसे रोकना चाहते हैं।

एर्नाकुलम के कक्कानाड के निवासी कैनेडी करिंबिंकलयिल(Kennedy Karimbinkalayil) ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि केरल में गैर-मुस्लिम लड़कियां लव जिहाद का शिकार हो रही हैं।

कैनेडी ने कहा, “नेटफ्लिक्स पर, मैंने लंदन की तीन लड़कियों के जीवन पर आधारित खिलाफत(Caliphate) नामक एक नाटक देखा। ‘लव जिहाद’ एक भयानक वास्तविकता है और यह पूरी दुनिया में हो रहा है।”

वे सेव सिरो-मालाबार फोरम(Save Syro-Malabar Forum) के माध्यम से लोगों को इसकी (लव जिहाद) भयावहता के बारे में चेतावनी दे रहे हैं।
चर्च के संयोजक 56 वर्षीय कैनेडी हमेशा अपनी शर्ट की जेब में ‘लव जिहाद’ पर जानकारी- पूर्ण टिप्पणियों का पुलिंदा रखते हैं ताकि लोगों को, ख़ासकर लड़कियों को इसके खतरों के बारे में आगाह किया जा सके और लव जिहाद के खतरे के बारे में चेतावनी देने के लिए इन ‘तथ्यों और आंकड़ों’ को हर जगह वितरित भी करते हैं।

स्कूल में राष्ट्रगीत गायन के दौरान मुस्लिम छात्रों द्वारा लगायें गये ‘अल्लाहु अकबर’ के साथ साथ अन्य इस्लामी नारे ! विरोध जताने पर हिंदू छात्र की पिटाई ! स्कूल के प्रधानाध्यापक, पुलिस प्रशासन लापरवाह !

Taldi-Arup haldar - Copyस्कूल में प्रार्थना के दौरान राष्ट्रगीत ‘जन गण मन’ गाया जा रहा था ‍। उस वक़्त बारहवीं कक्षा के 10-12 छात्र राष्ट्रगीत न गाकर ‘अल्लाहु अकबर’ के साथ साथ अन्य इस्लामी नारे लगा रहे थे। उन्हें ऐसा करते देख एक हिंदू छात्र ने विरोध जताया। नतीजतन उन मुस्लिम छात्रों ने मिलकर उस हिंदू छात्रों की बेधड़क पिटाई कर दी जिसकी वजह से उसकी नाक से खून बहने लगा। यहां तक कि उसके सीने में भी गंभीर चोट पहुंची जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।

यह घटना दक्षिण 24 परगना (पर.बंगाल) जिले के कैनिंग थानांतर्गत तालदी मोहनचंद्र उच्च विद्यालय में घटी।
स्थानीय सूत्रों से पता चला है कि पिछले 18 जुलाई को स्कूल में प्रार्थना के वक़्त नौवीं कक्षा के समीप बारहवीं कक्षा के कुछ मुस्लिम छात्र आकर क़तार में खड़े हो गए। निर्धारित समय पर राष्ट्रगीत गायन शुरू हुआ। परंतु राष्ट्रगीत गाने की बजाय उन मुस्लिम छात्रों ने ‘अल्लाहु अकबर’ के साथ साथ एकाधिक इस्लामी नारे लगाना शुरू कर दिया। उन्हें ऐसा करते देख नौवीं कक्षा के अरूप हालदार नामक एक हिंदू छात्र ने एतराज जताया, जिससे आपा खोकर सफ़ीकुल गाजी व आसादुल्लाह गाजी की अगुवाई में बारहवीं के मुस्लिम छात्रों ने उसकी बेधड़क पिटाई कर दी। अरूप हालदार की नाक फटकर ख़ून बहने लगा,सर व सीने पर भी गंभीर चोटें पहुंची।खबर मिलने पर स्कूल के प्रधानाध्यापक व अन्य शिक्षक वहां भागे आये और फ़ौरन अरूप को कैनिंग अस्पताल ले गया, जहां से इलाज के बाद उसे छोड़ दिया गया।इसी दरम्यान वहां पुलिस भी पहुंची। लेकिन अचरज की बात तो यह है कि प्रधानाध्यापक संजय नस्कर अरूप के अभिभावकों पर मामले को आपस में निपटा लेने के लिए दवाब डालने लगा पर उनके राजी न होने पर पुलिस ने एक मुस्लिम छात्र को हिरासत में ले लिया और उसे थाने ले गई।साथ ही पुलिस अस्पताल से अरूप को भी थाने ले आई।
बहरहाल किसी अज्ञात कारणवश उसी रात को ही हिरासत में लिए गए छात्र सफ़ीकुल गाजी को थाने से छोड़ दिया गया। दूसरी ओर थाने में ही अरूप के हालत बिगड़ने पर उसे फिर से कैनिंग अस्पताल में दाखिल करवाया गया, जहां आज भी उसका इलाज चल रहा है।
ग़ौरतलब है कि इस घटना में प्रधानाध्यापक संजय नस्कर की भूमिका वाक़ई संतोषजनक नहीं रही। मुस्लिम छात्रों के अपराध को नजरंदाज करते हुए उन्होंने उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की।
पिछले नवंबर महीने में भी स्कूल के निकट स्थित गाजीपाड़ा मोहल्ले के मुस्लिम छात्रों ने रबि हालदार नामक हिंदू छात्र से बेधड़क मारपीट की थी। किंतु प्रधानाध्यापक महोदय के कार्रवाई न करने पर आक्रोशित हिंदू छात्रों ने स्कूल में तोड़फोड़़ भी की थी। उक्त घटना के उपरांत प्रधानाध्यापक की साज़िश के चलते रबि हालदार को आजतक माध्यमिक की परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया।
हिंदू संहति के स्थानीय प्रतिनिधि ने उक्त स्कूल की विभिन्न कक्षाओं के छात्रों से बातचीत कर प्रधानाध्यापक के खिलाफ हिंदू छात्रों के आक्रोश का जायजा लिया। हिंदू छात्रों ने प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई और उनकी बदली की मांग की। इसके अतिरिक्त दोषी मुस्लिम छात्रों पर पुलिस द्वारा कार्रवाई की मांग भी की गई।

हिंदू संहति की ओर से हावड़ा के काली मंदिर को लाउडस्पीकर का दान

हावड़ा जिले के बागनान थानांतर्गत मुर्गाबेड़िया गांव स्थित काली मंदिर को एक बहुत ही जाग्रत मंदिर माना जाता है। वहां के स्थानीय गांववासियों ने उक्त मंदिर में पूजा-अर्चना के सुविधार्थ हिंदू संहति के स्थानीय कार्यकर्ताओं से एक लाउडस्पीकर सेट मुहैया कराने का निवेदन किया था।

लिहाज़ा हिंदू संहति की ओर से उक्त मंदिर को एक लाउडस्पीकर सेट भेंट किया गया। उस वक़्त मंदिर प्रांगण में गांव वाले उपस्थित थे। स्थानीय गांववालों के अतिरिक्त हिंदू संहति की ओर से संस्था के सहायक सचिव श्री मुकुंद कोले तथा बागनान थाना इलाके के प्रमुख कार्यकर्ता भी उक्त कार्यक्रम में उपस्थित थे।इस कार्यक्रम में तपन देशप्रेमी नामक एक सदय समर्थक ने काफी सहयोग दिया ‌।
लाउडस्पीकर सेट मिलने पर स्वाभाविक रूप से ही गांव वाले काफ़ी ख़ुश दिखें और उन्होंने हिंदू संहति की सराहना की।

हिंदू संहति की ओर से असम में लव जिहाद के खिलाफ घर-घर घूमकर प्रचार

लव जिहाद में फंसकर हिंदू लड़कियों के घर छोड़नाऔर इस्लाम में धर्मांतरित होना कोई नई बात नहीं है। लिहाज़ा हिंदू संहति अपनी स्थापना के समय से ही इस लव जिहाद के ख़िलाफ़ लड़ रही है। उसी सिलसिले को कायम रखते हुए लव जिहाद के विरुद्ध लोगों में जागरूकता पैदा करने हेतु असम में घर-घर अभियान चलाया गया। हिंदू संहति की बराक घाटी ईकाई के युवा कार्यकर्ताओं द्वारा  पिछले कुछ दिनों से लव जिहाद के ख़िलाफ़ असम के गांव-गांव, मोहल्ले-मोहल्ले में प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। हिंदू संहति के कार्यकर्ता काछाड़ जिले के शिलचर शहर,मालुग्राम आदि स्थानों में हिंदुओं के घर-घर जाकर विज्ञप्ति पत्र (हैंडबिल) बांटकर प्रचार अभियान चला रहे हैं। अब तक हिंदू संहति के कार्यकर्ताओं ने 200 परिवारों से सम्पर्क स्थापित कर प्रचार चलाया है।इस संदर्भ  में हिंदू संहति के बराक घाटी प्रमुख सम्राट दत्त ने बताया कि-“हमारा लक्ष्य 1000 परिवारों से सम्पर्क कर प्रचार चलाना है । इसीलिए आनेवाले दिनों में भी हिंदू संहति का यह प्रचार अभियान जारी रहेगा “।

कोलकाता में विस्फोटक बरामदगी के मामले में बसिरहाट से गिरफ़्तार रविउल इस्लाम

विस्फोटक लदा वाहन(मेटाडोर) पकड़े जाने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक और संदिग्ध को ग़िरफ़्तार किया ।
आरोपी का नाम है रविउल इस्लाम। विस्फोटक बरामदगी के मामले में इसे लेकर कुल तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई ‌।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक उत्तर 24 परगना जिलांतर्गत बसिरहाट के भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाके से रविउल इस्लाम को गिरफ़्तार किया गया। पकड़े गए वाहन चालक व खलासी से पूछताछ करने पर जांचकर्ताओं को रविउल के बारे में पता चला।
पता चला कि रविउल ने ही विस्फोटक पदार्थ पोटैशियम नाइट्रेट लाने का काम सौंपा था‌।  जब्त किए गए 1000 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट के जखीरे को भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाके में जमा किया जाना था।
पुलवामा की दर्दनाक यादें अब भी ताज़ा हैं। ये यादें धुंधली पड़ने से पहले ही घटित हुई कोलकाता में शुक्रवार को विस्फोटक से लदे वाहन के पकड़े जाने की घटना। कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स ने टाला ब्रिज के निकट विस्फोटक से लदे इस मेटाडोर को पकड़ा । उक्त वाहन के अंदर से 27 बैगों में रखा 1000 किलोग्राम पोटैशियम नाइट्रेट बरामद किया गया।गुप्त सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर शुक्रवार रात को एसटीएफ ने यह विशेष मुहिम चलाकर उक्त वाहन को पकड़ा और वाहन चालक व खलासी को गिरफ़्तार किया।
पूछताछ के दौरान आरोपियों से पता चला कि पश्चिम मिदनापुर से इस गिरोह को चलाया जा रहा था‌। ओडिशा के बालेश्वर से विस्फोटक का यह ज़ख़ीरा लाया जा रहा था। उत्तर 24 परगना के किसी एक स्थान पर इसे ले जाने की योजना थी। इसके बाद ही एसटीएफ ने बसिरहाट के सीमावर्ती इलाके से रविउल को गिरफ़्तार किया।

पश्चिम बंगाल निवासी जेएमबी आतंकवादी नज़ीर शेख़ त्रिपुरा में गिरफ़्तार

बीते 5 मार्च , मंगलवार को त्रिपुरा पुलिस ने अगरतला से नज़ीर शेख़ नामक जमात-उल-मुजाहिदीन, बांग्लादेश (जेएमबी) के एक संदिग्ध आतंकवादी को गिरफ़्तार किया ।  25 वर्षीय शेख़ नज़ीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद का रहनेवाला है। वह अगरतला में राजमिस्त्री का काम करता था।
पत्रकार सम्मेलन में त्रिपुरा के डीजीपी एके शुक्ला ने कहा कि नज़ीर 2013 के बोधगया
विस्फोट से भी सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था। बोधगया विस्फोट के मुख्य आरोपी कौसर के सहयोगी के रूप में काम करता था नज़ीर। पुलिस के अनुसार 5 मार्च मंगलवार शाम को अनुसंधानकर्ताओं   और स्थानीय पुलिस के एक दल ने अगरतला के अरुंधति नगर से नज़ीर को गिरफ़्तार किया।
पुलिस को शक है कि आरोपी नज़ीर राजगीर के रूप में काम करने के साथ साथ जेएमबी के लिए भी काम करता था।

जिहादी हमले के शिकार तमलुक, पूर्व मिदनापुर के हिंदू… हिंदुओं के घरों व मंदिरों में मुस्लिमों द्वारा तोड़फोड़, आगजनी

पश्चिम बंगाल के पूर्व मिदनापुर जिलांतर्गत तमलुक के श्रीराम गांव के हिंदुओं को भयानक जिहादी हमले का शिकार होना पड़ा। वहां मुस्लिमों ने हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। हिंदुओं के घरों में स्थित तुलसी मंच, मंदिरों के देवी-देवताओं की मूर्तियां बिना भेद-विचार किए तोड़ी गईं । स्थानीय सूत्रों से पता चला है कि श्रीरामपुर गांव के निकटवर्ती  बाहिर खोप इलाका मुस्लिम बहुल है। इससे पहले सरस्वती पूजा के दौरान भी हिंदू-मुस्लिमों के बीच छोटे-मोटे विवाद हो चुके थें। इसके अतिरिक्त स्थानीय निवासियों ने बताया कि किसी भी घटना में वहां के मुसलमान राज-सत्ता को हथियार  बनाकर हिंदुओं को निशाना बनाते हैं।

इस बार भी अपवाद नहीं हुआ ‌।
घटना की शुरुआत 28 फरवरी को बाहिर खोप गांव के फारुख नामक एक मुस्लिम के लापता होने को लेकर हुई। उस दिन मुस्लिमों ने उक्त व्यक्ति के लापता होने में हिंदुओं के हाथ होने की अफ़वाह फैलाकर रास्ता रोककर विरोध प्रदर्शन किया। इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती भी की गई थी। लेकिन दूसरे  दिन 1 मार्च को एक पोखर (तालाब) में फारुख की लाश मिली, जिसके बाद ही बाहिर खोप के मुस्लिमों ने हिंदुओं के गांव श्रीरामपुर पर हमला बोल दिया। मुसलमानों की उग्र भीड़ ने हिंदुओं के  एक के बाद एक मकानों में पेट्रोल डालकर आगजनी शुरू कर दी। स्थानीय निवासियों के अनुसार पूर्व नियोजित ढंग से मुस्लिमों ने सब्बल,कुदाली से लैस होकर हिंदुओं पर हमले किए,एक के बाद एक मंदिरों में तोड़फोड़ की।इस घटना के चलते पूरे गांव के हिंदुओं में आतंक का माहौल है। दहशत की वजह से अनेक हिंदू परिवार गांव छोड़ चुके हैं।  गांव में पुलिस पिकेट स्थापित की गई है।